Jobs of 24 teachers were snatched on the threshold of retirement, ad hoc teachers crying bitterly, said, did not think t

कानपुर। 20-25 साल नौकरी की और जब रिटायरमेंट की दहलीज आई तो नौकरी छिन गई। न तो पीएफ का सहारा और न ही पेंशन का। बुढ़ाप??

कानपुर। 20-25 साल नौकरी की और जब रिटायरमेंट की दहलीज आई तो नौकरी छिन गई। न तो पीएफ का सहारा और न ही पेंशन का। बुढ़ापे की जिंदगी कैसे गुजरेगी, यही तनाव है। एक-दो नहीं, बल्कि कानपुर के ऐसे 24 तदर्थ शिक्षकों के सिर पर आफत टूट पड़ी है। फूट-फूटकर रो रहे हैं कि सोचा न था कि ऐसे विदाई होगी।
 
 

 

 
 
 
प्रदेश में 1132 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी चली गई जो वर्ष 2000 से पहले या बाद में विनियमित (रेगुलर) नहीं हो पाए थे। शहर के 12 ऐसे तदर्थ शिक्षक भी हैं जो रेगुलर होने की आस में रिटायर हो गए पर उन्हें पेंशन नहीं मिल रही। कभी प्रबंधक अपने स्तर से नियुक्तियां कर डीएआईओएस से अनुमोदन करा लिया करते थे। 1991 और 1998 में दो बार ऐसे शिक्षकों का विनियमितीकरण कर दिया गया। इसके बाद तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियों पर रोक लग गई।
 
 
 
दो बार सीख लेने के बावजूद प्रबंधक बिना अनुमति के तदर्थ (एडहॉक) शिक्षकों की नियुक्तियां करते रहे। सरकार ने इन्हें रेगुलर करने से इनकार कर दिया। इनमें 2000 से पहले और इसके बाद तदर्थ नियुक्त शिक्षक शामिल हैं। प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन राहत नहीं मिली। इतना जरूर कहा कि इन्हें चयन प्रक्रिया में लाकर लिखित परीक्षा में शामिल कराया जाए और भारांक देकर रिजल्ट घोषित करा दिया जाए।
 
 
 
आदेश का पालन किया जाएगा
 
 
 
जो तदर्थ शिक्षक बिना रेगुलर हुए वेतन पा रहे थे, अब उन्हें वेतन नहीं दिया जाएगा। इसके लिए आदेश आ चुके हैं। इसका पालन किया जाएगा।
 
 
 
सतीश कुमार तिवारी डीआईओएस
 
इनकी नौकरी पर लगा विराम
 
 
 
24 ऐसे तदर्थ शिक्षक हैं जिन्हें अब वेतन नहीं मिलेगा। केवल एक शिक्षक परीक्षा में बैठ सके और भारांक के आधार पर उनका चयन हो गया। बाकी फेल हो गए। जिन शिक्षकों का वेतन रोका गया है, सभी की नौकरी के चार-पांच साल बचे हैं। शहर के 12 ऐसे तदर्थ शिक्षक हैं जो रिटायर भी हो चुके हैं। आस थी कि देर-सबेर रेगुलर हो जाने से इनकी पेंशन बन जाएगी पर यह आस भी टूट गई।
 
 
 
अब राहत की संभावना नहीं
 
 
 
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हरिश्चंद्र दीक्षित ने बताया कि शिक्षा निदेशक के आदेश में स्पष्ट है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 दिसंबर 2000 से पूर्व या बाद में कार्यरत शिक्षक जो कोर्ट के अंतिम-अंतरिम आदेश से वेतन प्राप्त कर रहे, के विनियमितीकरण के संबंध में परीक्षण के बाद प्रकरण पर वित्त विभाग एवं न्याय विभाग की सहमति नहीं है।
 
 
 
● फूट-फूटकर रो रहे तदर्थ शिक्षक बोले, सोचा न था कि ऐसे होगी विदाई

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